मध्यप्रदेश में वन – Forest in Madhya Pradesh detailed description

मध्यप्रदेश में वन

मध्यप्रदेश में वन : 

पृथ्वी का वह भाग जो वृक्षों से ढका है वन कहलाता है पूरे भारत में सर्वाधिक वन संपदा मध्य प्रदेश में है जो जैव विविधता से परिपूर्ण है यहां पर विभिन्न प्रजातियों के वृक्ष पाए जाते हैं ।

मध्य प्रदेश में वनों का वर्गीकरण तीन भागों में किया गया है:-

 

प्रशासनिक वन जलवायु के आधार पर वन  वृक्षों के प्रकार के आधार पर
  • संरक्षित 
उष्णकटिबंधीय पर्णपाती साल 
  • आरक्षित
उष्णकटिबंधीय शुष्क पर्णपाती सागवान , बॉस 
  • अवर्गीकृत
उष्णकटिबंधीय आद्र पर्णपाती मिश्रित वन

 

 

प्रशासनिक वन

  • ऐसे वन क्षेत्र जिनका प्रबंधन प्रशासन की देखरेख में होता है ।

1.संरक्षित वन

  • इन वनों में आवागमन की सुविधाएं होती है इन्हें नष्ट करना दंडनीय अपराध माना जाता है लेकिन इन वन क्षेत्रों में प्रशासनिक नियम अधिक कठोर नहीं होते हैं ।
  • पशु चारण की सुविधा दी जाती है , यहां रहने वाले निवासी विशेष परिस्थिति में अनुमति लेकर वन काट भी सकते हैं ।‌ सभी वन्य जीव अभ्यारण इन्हीं वनों में स्थापित किए जाते हैं ।

2. आरक्षित वन

  • आवागमन, पशु चारण ,लकड़ी काटना,  दंडनीय अपराध ,माना जाता है ।
  • प्रशासनिक नियम अत्यधिक कठोर होते हैं।
  • सभी राष्ट्रीय उद्यान इन्हीं वनों में स्थापित किए जाते हैं ।

3. अवर्गीकृत वन

  • इन वन क्षेत्रों में प्रशासन के द्वारा कम ध्यान दिया जाता है ।
  • इन वनों में आवागमन पशु चारण की सुविधा और रहती है लेकिन इच्छा अनुसार वन काटे जा सकते हैं ।

जलवायु के आधार पर वन  

मध्य प्रदेश मानसूनी जलवायु वाला प्रदेश है जहां सामान्यतः उष्णकटिबंधीय वन पाए जाते हैं इन वनों को भौगोलिक क्षेत्र के अनुसार तीन भागों में बांटा गया है ।

1.उष्णकटिबंधीय पर्णपाती वन

  • यह वन 75-100 cm वर्षा वाले क्षेत्रों में पाए जाते हैं इस प्रकार के वन जल के अभाव में ग्रीष्म ऋतु में पत्तिया गिरा देते हैं
  • इन वनों में उत्तम इमारती लकड़ी पाई जाती है ।
  • इनका विस्तार मध्यवर्ती जिलों में सागर, छिंदवाड़ा ,जबलपुर ,छतरपुर ,पन्ना ,बैतूल ,होशंगाबाद आदि
  • वृक्ष सागवान, शीशम, नीम ,पीपल ।

2. उष्णकटिबंधीय आद्र पर्णपाती वन

  • 100-150 cm वर्षा वाले क्षेत्रों में
  • मध्य प्रदेश के पूर्वी जिलों में( बालाघाट ,मंडला ,सीधी ,शहडोल )आदि
  • वृक्ष जामुन, बांस, महुआ ,साल ,साबुन, बांस, हर्रा आदि
  • अपेक्षाकृत अधिक वर्षा वाले स्थानों में पाए जाते हैं इसलिए ग्रीष्मकालीन पतझड़ के समय में अपनी सारी पत्तियां नहीं गिराते हैं ।

3.उष्णकटिबंधीय शुष्क पर्णपाती वन

  • वर्षा 25-75 cm विस्तार
  • पश्चिमी जिले (शिवपुरी , श्योपुर )
  • उत्तरी जिले (रतलाम ,मंदसौर, नीमच )
  • वृक्ष बबूल, पलाश, तेंदूपत्ता, कीकर

 

वृक्षों के आधार पर मध्यप्रदेश में वन का वर्गीकरण

1.सागवान /सागौन

  • मुख्यत: पश्चिमी जिलों में पाए जाते हैं ।
  • काली मिट्टी वाले क्षेत्रों में सागौन के वन अधिक मिलते हैं ,जहां वर्षा लगभग 75-125 cm के बीच होती है।
  • इनका प्रयोग इमारती लकड़ी के रूप में होता है।
  • होशंगाबाद में बोरे घाटी सागौन के वनों के लिए प्रसिद्ध है यह वन मुख्यत: जबलपुर, होशंगाबाद ,सागर, बैतूल ,छिंदवाड़ा, झाबुआ, खंडवा में पाए जाते हैं।

2.साल के वन

  • मुख्यतः पूर्वी जिलों में पाए जाते हैं ।
  • लाल पीली मिट्टी वाले क्षेत्र में अधिक मिलते है ।
  • जहां वर्षा लगभग 125 cm से अधिक होती है ।
  • मंडला, बालाघाट ,सीधी ,शहडोल।

3.बांस

  • दक्षिण पूर्वी जिलों में
  • मुख्यतः लाल पीली मिट्टी वाला क्षेत्र
  • वर्षा 100-125 cm
  • उपयोग कागज बनाने में
  • विस्तार बालाघाट ,बेतूल ,मंडला ,सागर ,सिवनी जबलपुर में ।

4.मिश्रित पर्णपाती एवं अन्य वन

महुआ, पलास ,बबूल, हरा, साग ,सनई, आदि मिश्रित वन मुख्यता बालाघाट होशंगाबाद मंडला छिंदवाड़ा जिले में पाए जाते हैं ।

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