Irrigation in Madhya Pradesh:
प्रदेश में पहली बार सिंचाई प्रणाली का विकास ग्वालियर में किया गया था ।
ग्वालियर महाराज जीवाजी राव सिंधिया ने 1950 में पहली बार सिंचाई विभाग की स्थापना की थी ।
♣ मध्यप्रदेश में सिंचाई के तीन प्रमुख साधन है
1 कुआं और नलकूप
2. नहरों से सिंचाई
3. तालाबों से सिंचाई
4. अन्य नाला पोखर डबरा आदि
1.कुआं और नलकूपों के द्वारा सिंचाई
♦ प्रदेश में सर्वाधिक सिंचाई सी माध्यम से होती है लगभग 66.45% भाग में सिंचाई की जाती है ।
♦ कुओं से सिंचाई मुख्यता मालवा के पठार तथा उत्तरी जिलों में होती है ।
♦ 10 लाखों कुओं की योजना से कुओं के द्वारा सिंचाई में अतुलनीय वृद्धि हुई है ।
♦ इस योजना के तहत सरकार किसानों को अनुदान भी देती है ।
2.नहरों के द्वारा सिंचाई
♦ मध्यप्रदेश में सिंचाई का प्रमुख साधन नहर है l
♦ नहरों के द्वारा सिंचित क्षेत्र 19.92% है l
♦ नहरों से मुख्यत: चंबल घाटी क्षेत्र, ग्वालियर, भिंड, मुरैना तथा बुंदेलखंड के टीकमगढ़, छतरपुर, निवाड़ी में सिंचाई की जाती है ।
3.तालाबों के द्वारा सिंचाई
♦ मध्यप्रदेश में सिंचाई का तीसरा संसाधन तालाब है l
♦ तालाबों के द्वारा मध्य प्रदेश के कुल सिंचित क्षेत्र का लगभग 3.20% भाग सिंचित होता है l
♦ तालाब सिंचाई को सफल बनाने के लिए सरकार ने बलराम ताल योजना आरंभ की है ।
♦ तालाबों के द्वारा सर्वाधिक सिंचाई बालाघाट जिले में होती है इसके अलावा शिवनी, सीधी, शहडोल में भी तालाबों के द्वारा सिंचाई की जाती है ।
♦ तालाब सिंचाई का अन्य नाम टैंक सिंचाई भी है ।
अन्य संसाधन नाला पोखर डबरा आदि के द्वारा सिंचाई की जाती है इनके द्वारा भाग पर सिंचाई की जाती है
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