देश में 1857 की क्रांति मेरठ छावनी से प्रारंभ हुई तथा इस क्रांति के पहले शहीद मंगल पांडे बने । मध्यप्रदेश में 1857 की क्रांति का पूर्ण विवरण
इस क्रांति में संकेत के रूप में रोटी और कमल का प्रयोग किया गया ।
इस संदेश को लेकर मध्य प्रदेश के शिवपुरी ,नीमच, मंदसौर, ग्वालियर, धार ,सागर, इंदौर आदि क्षेत्रों में क्रांतिकारियों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया ।
शिवपुरी ग्वालियर को केंद्र बनाकर तात्या टोपे ने गोरिल्ला युद्ध किया और नाना साहब तथा लक्ष्मीबाई को सहयोग प्रदान किया अंत में तात्या टोपे के मित्र एवं सिंधिया के सामंत ने मित्र घात करके तात्या टोपे को गिरफ्तार करवा लिया तत्पश्चात 18 अप्रैल 1859 को शिवपुरी में अंग्रेजो के द्वारा तात्या टोपे को फांसी दे दी गई ।
झांसी और ग्वालियर में मध्यप्रदेश में 1857 की क्रांति का नेतृत्व रानी लक्ष्मीबाई ने किया और बहादुरी के साथ यूरोस का सामना किया । अपनी अंगरक्षक आ झलकारी बाई के साथ 18 जून 1858 ग्वालियर के कालपी के निकट वीरगति को प्राप्त हो गई ।
इनकी समाधि ग्वालियर के फूलबाग में बनाई गई, जहां रानी के सम्मान में यूरोज द्वारा कहे गए कथन अंकित है किस में युरोज ने कहा था कि “विद्रोहियों में एकमात्र मर्द यहां सोई हुई है” ।
इंदौर में शहादत खान और भागीरथ प्रसाद ने अंग्रेज कमांडर कर्नल ड्युरेंट को भारी क्षति पहुंचाई तथा महू से सरकारी खजाना लूट लिया और इंदौर में रेसीडेंसी क्षेत्र में अधिकार कर लिया अंत में शहादत खान को गिरफ्तार करके फांसी दे दी गई ।
जबलपुर और गढ़ मंडला के आसपास गोंड शासक साकिर साहिब एवं रामगढ़ की शासिका अवंतिका बाई ने अंग्रेजों से युद्ध किया तथा कर्नल वाल्डन को माफी मांगने को मजबूर कर दिया लेकिन कर्नल ने धोखे से आक्रमण किया और अवंतीबाई तथा उनकी अंगरक्षीका गिरधारी बाई के साथ 20 मार्च 1818 को अंग्रेजों से लड़ते हुए अपनी कटार से स्वयं के प्राण देकर वीरगति को प्राप्त हो गई ।
धार के अमझेरा में राजा बख्तावर सिंह ने, सागर में शेख रमजान तथा ठाकुर प्रसाद ने, मंडला में बहादुर देवी एवं देवी सिंह ने तथा रायपुर में नारायण सिंह ने अपनी अपनी शहादते दी ।
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